जाने क्रिसमस के विषय में . . . . .

जाने क्रिसमस के विषय में . . . . .


 ईसाइ धर्म का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस है। ईसाई समुदाय के लोग इस त्योहार को बहुत धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्योहार हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इसी दिन जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था।

जीसस क्राइस्ट ने समाज को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी और लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया था। इन्हें ईश्वर का प्यारा पुत्र कहा जाता  है। ऐसी मान्यता है कि उस समय के लोगो को जीसस के संदेश पसंद नहीं थे । उन्होंने जीसस को सूली पर चढ़ा कर मार डाला था। लेकिनअहिंसा के  दूत जीसस समाज को एक नए रौशनी देने फिर से जी उठे।

क्रिसमस के एक सप्ताह पहले से तैयारियां होने लगती हैं , ईसाई लोग घर को भलीभांति सजाते हैं, घर और बाजार रंगीन रोशनियों से जगमगा उठते हैं।
इस दिन आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। इसकी विशेष सज्जा की जाती है।इस त्यौहार में केक काटकर खिलाने का रिवाज बहुत पुराना है। लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर पर्व की बधाई देते हैं। सांताक्लाज का रूप धरकर व्यक्ति बच्चों को टॉफियां-उपहार आदि बांटता है।
ऐसा कहा जाता है कि सांताक्लाज स्वर्ग से आते है और लोगों को मनचाही चीजें उपहार के तौर पर देकर जाते है।

क्रिसमस के कुछ दिन पहले से ही चर्च में विभिन्न कार्यक्रम शुरु हो जाते हैं जो न्यू ईयर तक चलते रहते हैं। इन कार्यक्रमों में प्रभु ईशा मसीह की जन्म गाथा को नाटक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। कई जगह क्रिसमस के दिन ईसाई समाज द्वारा जुलूस निकाला जाता है। जिसमें प्रभु ईशा मसीह की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। कई जगह क्रिसमस की पूर्व रात्रि, गि‍‍‍‍रिजाघरों में रात्रिकालीन प्रार्थना सभा की जाती है जो रात के 12 बजे तक चलती है।


ठीक 12 बजे लोग अपने प्रियजनों को क्रिसमस की बधाइयां देते हैं और खुशियां मनाते हैं। क्रिसमस की सुबह गि‍‍‍‍रिजाघरों में‍ विशेष प्रार्थना सभा होती है।जिसमें अन्य धर्मों के लोग भी चर्च में मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना करते हैं।

केक, उपहार और क्रिसमस ट्री सजाने के साथ साथ आज इस पर्व की पहचान बन चुके है सांता क्लॉज। सांता क्लॉज की छवि जो लाल कपड़े पहने, टोपी लगाये, दाढ़ी रखने वाले बुजुर्ग की है जो बच्चों को क्रिसमस पर गिफ्ट देने अपनी स्लेज पर बैठकर आते है। आज सांता क्लॉज के बिना क्रिसमस की कल्पना अधूरी है।

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