कांग्रेस का सुलह फॉर्मूला: मनमोहन की विश्वसनीयता पर मंत्री दें बयान, मोदी हों मौजूद


संसद के शीतकालीन सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद गतिरोध खत्म करने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं. सरकार और विपक्ष, दोनों ही राज्यसभा में मौजूदा गतिरोध को दूर करने के इच्छुक हैं और इसी कड़ी में दोनों के बीच चर्चा आखिरी दौर में है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने सरकार के सामने एक शर्त रखी है, अगर इस पर बात बन जाती है तो फिर बुधवार से सदन में सामान्य ढंग से कामकाज होने की उम्मीद है.
 
दरअसल कांग्रेस इस बात पर राजी है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की विश्वसनीयता पर मुहर लगाते हुए सरकार की तरफ से अरुण जेटली या कोई बड़ा कैबिनेट मंत्री बयान दे, तो वो सदन चलाने को तैयार हो जाएगी. लेकिन उस दौरान सदन में पीएम मोदी भी मौजूद रहें. अगर सरकार इस प्रस्ताव को मान लेती है तो फिर सदन चल जाएगा.
 
गौरतलब है कि गुजरात चुनाव में पीएम मोदी ने भाषण के दौरान मनमोहन सिंह और पाकिस्तान को लेकर जो बयान दिया था, उस पर कांग्रेस लगातार पीएम से माफी की मांग कर रही है और इसके चलते इस सत्र में सदन की कार्यवाही लगातार बाधित रही है. उधर राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू साफ कर चुके हैं कि चूंकि पीएम का बयान सदन के अंदर नहीं दिया गया था इसलिए माफी का सवाल ही नहीं है.
 
कांग्रेस का कहना है कि पीएम ने भले ही बाहर बोला हो, लेकिन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह राज्यसभा के सदस्य हैं, सदन का हिस्सा हैं, टिप्पणी उन पर की गई है. जिस पर वो विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी ला सकते हैं, लेकिन वो पीएम पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए ऐसा नहीं कर रहे. गतिरोध खत्म करने को लेकर अरुण जेटली और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के बीच बैठकें भी हुईं. दोनों की नायडू की उपस्थिति में भी बैठक हुई.
 
दरअसल सरकार के लिए शीतकालीन सत्र के बचे दिन बेहद अहम है. तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने वाला विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा. लोकसभा की कार्यसूची के मुताबिक, तीन तलाक से संबंधित मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 निचले सदन में 28 दिसंबर को पेश किया जाएगा. क्रिसमस की छुट्टियों के बाद बुधवार 27 दिसंबर से शुरू हो रहे सप्ताह में सरकार के कामकाज की सूची में इस विधेयक को पेश किए जाने का उल्लेख किया गया है.
 
यही नहीं, इस हफ्ते लोकसभा में पिछड़ा वर्ग आयोग से संबंधित संविधान 123वां संशोधन विधेयक 2017 में राज्यसभा में किए गए संशोधनों पर भी विचार किया जाएगा. यह पहले लोकसभा में पारित हो चुका है. राज्यसभा में इस विधेयक के संबंध में विपक्ष के संशोधन को मंजूरी मिली थी.
 
गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने बाद उच्च सदन में गतिरोध लगातार बना हुआ है, इसमें अपवाद गत मंगलवार को देखने को मिला था जब सदन में सामान्य कामकाज हुआ और दो विधेयक चर्चा के बाद पारित किये गए.

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