विद्या की देवी माँ सरस्वती को पावन त्यौहार बसंत पंचमी

विद्या की देवी माँ सरस्वती को पावन त्यौहार बसंत पंचमी



हिन्दू धर्म मैं बताये गई है की माघ महीना के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि खो वसंत पंचमी मनाई जात  है,
 जीमै विद्या की देवी सरस्वती माता की पूजा करत है ,
ई समय शरद ऋतु के बडवे की वसंत ऋतु के आवे की बेरा होत है,
 जीनसे ने तो बेजा जाड़ो और ने बेजा तपन होत है । 
 पेड़ों पे नए -नए पत्ता और खेतों में पीली पीली सरसुमा बड़ी नोनी लगत है,


ई दिना भुन्सारे से सपर के सफ़ेद कपरा पेनके मां सरस्वती की पूजा करी जात है,
ई बात को विशेष ध्यान धरत है की माता खो चढ़वे वारे फल , फूल , प्रसाद और वस्त्र सफ़ेद रंग के होये ,
संगे संगे विद्या की देवी खो प्रसन्न करवे गेंहू की बलियें, सरसूमा के फूल , स्याही और दवात खो पूजा मैं विशेष रूप से शामिल करत है ,
पूजा की जगह पे पुस्तक और वाध्ययंत्र खो माता की चौकी के लिंगा रखो जाvत है। 

बाल बच्चों के शिक्षा की शुरुआत के राजे जो सबसे शुभ दिना मानो गाओ है,
ई दिना बच्चा से पेलो अक्षर लिखवा के शिक्षा के क्षेत्र मैं उनके नन्हे नन्हे गोड़े धरवाये जात है।

ई दिना विद्यालयों में  शिक्षक और विद्यार्थी श्रद्धा पूर्वक माता सरस्वती की आराधना करत हैं।
पूजा में किताब-कॉपी पेन-पेंसिल पड़वे लिखवे की सबइ सामाग्री खो माता के चरणों में रख के आर्शिवाद लाओ जात हैं,

अपन सब की तरफ से माता के चरणों मैं शत शत नमन  

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