राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित

 राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित




 आज हम एक ऐसी सख्सियत को याद कर रहे है जो किसी पहचान की मोहताज नहीं ,
 कोई इन्हे बापू कहता है तो कोई महात्मा,तो कोई राष्ट्रपिता दुनिया उन्हें भिन्न भिन्न उपनामों से सम्बोधित करती हैं।
उनका कहना था की बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो,
अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई।
उनके कार्य और विचार पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गए।

कहते हैं मृत्यु बताकर नहीं आती। यह दबे पांव आकर व्यक्ति को अपने साथ लेकर चली जाती है।
गांधीजी ने अपने जीवन के 12 हजार से अधिक दिन स्वतंत्रता संग्राम में लगाए,
परंतु उन्हें आजादी का सुकून मात्र 168 दिनों का ही मिला।
नाथूराम गोडसे की बंदूक से निकली गोलियाँ बापू के शरीर को छलनी करती गईं।
30 जनवरी, 1948 के दिन तीन गोलियों ने बापू के तीन दशक के संघर्ष का अंत कर दिया।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित 

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