एक दर्द भरी कथा किसानो की व्यथा

एक दर्द भरी कथा किसानो की व्यथा 


किसान  कहे या अन्न दाता जिसका देश के विकास मैं सबसे अहम् योगदान है वो आज अपनी जिंदगी की मूलभूत आवश्कताओ के लिए जूझ रहा है।

भारत जैसे कृषि प्रधान देश मैं किसानो की स्थिति जस की तस बनी हुए है।

आम जनमानस बरसात का आनन्द लेते हुए पकोड़े खाने मैं  जब व्यस्त होता तब किसान खेतो मैं बोनी करता है ,
शीत काल मैं जब हम रजाई मैं छिपे होते है तब किसान कपकपाती ठण्ड मैं सिंचाई करने मैं मशरूफ रहता है , क्योंकि आज भी गाओं मैं सिंचाई के लिए बिजली तो रात मैं ही दी जाती है।
गर्मी मैं कूलर की ठंडक मैं जब आम जनता आइस क्रीम का लुत्फ़ लेती है तब किसान कटाई की चिंता से घिरा होता है. क्योंकि किसान के लिए मेहनत का कोई शॉर्टकट नही होता। इन सब के बाद भी किसान वर्ग को नज़र अंदाज कर व्यवसायकिता को प्राथमिता देना कहा तक उचित है ?  

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