रंग बिरंगी खुशियों के त्यौहार होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं


रंग बिरंगी खुशियों के त्यौहार होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं


भारतीय संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों को आदि काल से ही बजाई महत्व रओ है। अपनी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि इते मनाये जावे वारे सभाई  त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को रख के सबरे में प्रेम, एकता एवं सद्भावना खो बडात हैं। भारत में त्योहारों को सम्बन्ध कोनऊ जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से ने होके समभाव से है।

बसंत ऋतु के आवे से  राग, संगीत और रंग को त्यौहार होली, खुशियों और भाईचारे के सन्देश के संगे अपने रंग-बिरंगी आंचल में सभहो  ढंक लेत है। हिन्दुओं को जो प्रमुख त्यौहार होली पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीना  की पूर्णिमा खो मनाओ जात है।

नारद पुराण में श्रीहरि विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक और निरंकुश शासक  हते ।

उनने अपने मोड़ा से विष्णु भगवन की  भक्ति छोड़वे के रंजे कइती पर वे असफल रये  । जींकेबाद  हिरण्यकश्यप ने अपने मोड़ा की भक्ति को देखैत भये उनहो मरवा बे की जुगाड़ जमाई । उनने जो काम अपनी बिन्ना होलिका खो दओ।  होलिका खो वरदान हतो की बा जर नाइ सकत।  होलिका अपने भैय्या के केबे पे प्रह्लाद हो लेके चिता पे बैठ गई।  ई आग में प्रहलाद तो नाइ बरो लेकिन होलिका बर गई । तबई  से ई तैयोहार खो मानावे की प्रथा चल रै आहे ।

बाल बच्चो मइँ ई त्योहार विशेष महत्व है,  वे तो एक दिना पेले से रंग , पिचकारी और गुब्बारे खरीद लेत हैं  ।
 घरों में औरतें पहले से ही गुजियां बनात  हैं और होली के दिना अपने मित्रों में बाँट के  होली को आनंद लेत हैं ।

गाँवों में तो होली को अपनो  अलगेई मजा है  । लोग टोलियाँ बनाके  घरे घरे जाके ढोल मृदंग बजाके  खूब नचत-गात हैं। शहरों में कहूँ मूर्ख सम्मेलन तो कहूँ  कवि सम्मेलन होत हैं ।

ब्रज की होली तो पूरे भारत में मशहूर है । उते जैसी होली तो कहूं देखवे खो नहीं मिलत ।
कृष्ण मंदिरों में होली की धूम को  अपनो अलगें  रूप है । चारों तरफ गुलाल उड़त है और  भक्त राधा कृष्ण की जय-जयकार करत  भये  होली को आनंद लेत हैं ।

होलिकोत्सव केवल हिंदू को नाइ  मुसलमान भाई सोई इनखों मनात हैं। ईको प्रमाण मुगलकाल की तस्वीरों से मिलत हैं  इन तस्वीरों में अकबर खो जोधाबाई के संगे और  जहाँगीर खो  नूरजहाँ के संगे  होली खेलत भओ दिखाओ गाओ है।

ई   पवित्र दिना अपन सब हो  ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर भगाओ चाहिए। होली पर्व के पीछे सबरी धार्मिक मान्यताएं,परम्पराएं और ऐतिहासिक घटनाएं छुपी  हैं लेकिन  अंत मैं  ई  पर्व को  उद्देश्य मानव-कल्याण तथा आपसी भाई चराई  है।

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