रंगपंचमी का जश्न

रंगपंचमी का जश्न 




भारत के हर राज्य एवं हर स्थान पर होली का त्योहार मनाने की एक अलग ही परंपरा है।
इसमें कुछ स्थानों पर होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

कई स्थानों पर होली से भी ज्यादा रंगपंचमी पर रंग खेलने की परंपरा है।
कई जगहों पर धुलेंड़ी पर गुलाल लगाकर होली खेली जाती है तो रंगपंचमी पर अच्छे-खासे रंगों का प्रयोग कर रंगों का त्योहार मनाया जाता है।

खास तौर मध्यप्रदेश में रंगपंचमी खेलने की परंपरा काफी पौराणिक है।
इस दिन बुंदेलखंडवासियों की रंगपंचमी के गेर की टोलियां सड़कों पर निकालती है
तथा एक-दूसरे को रंग लगा कर इस त्योहार की खुशियां इजहार करती है।

बुंदेलखंड में इस दिन खास तौर जगह-जगहों पर जुलूस निकाले जाते हैं, जिन्हें गैर कहा जाता है। 
 इस दिन खास तौर पर पुरणपोली या फिर श्रीखंड-पूरी का आनंद सभी उठाते हैं।

रंगपंचमी  एक ऐसा रंगारंग कारवां है, जिसमें बगैर भेदभाव के पूरा शहर शामिल होता है और जमीन से लेकर आसमान तक रंगबिरंगी रंग ही रंग नजर आता हैं।

होली का अंतिम दिन रंगपंचमी यानी होली पर्व के समापन का दिन माना जाता है।
रंगबिरंगी सद्भावना के साथ इस त्योहार का समापन होता है। 

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