IPL का अनदेखा किन्तु तीखा सच
सट्टा बाजार के दलदल से लेकर प्रायोजकता की चकाचौंध तक
पूरे देश में इन दिनों आईपीएल मैं करोड़ों रूपये का सट्टा लग रहा है।
आईपीएल के आते ही देश में क्रिकेट के सट्टे का मौसम भी शुरू हो जाता हैं ,यह सट्टा खिलाने वाले हमारे समाज के ही सम्मानीय नागरिक होते हैं।
अभी आपने आये दिन चाय की दुकान पर , पान ठेलो पर , कपड़ो की दुकान पर , मेडिकल स्टोर्स पर , किराना भंडार पर , चाट फुलकी के ठेलों पर , मोबाइल रिपेरिंग स्टोर्स आदि पर आईपीएल की चर्चा के साथ साथ सट्टे के भावों के उतार चढ़ाओ की खनक भी सुनी होगी ।
किन्तु एक तथ्य विचारणीय हैं कि देश में बिना राजनैतिक संरक्षण के पत्ता भी नहीं हिल सकता तो यह सट्टे का बाजार कैसे फल फूल रहा हैं। शहर हो या क़स्बा राजनैतिक पार्टयों से जुड़े चापलूस इन सट्टा खिलाने वालों के माई बाप होते हैं और वही इन्हे सरकार और पुलिस से संरक्षण प्रदान करते हैं। एक बात रोचक हैं की सट्टा खेलने वाला और खिलाने वाला दिवालिया हो सकते हैं किन्तु ये सट्टे के संरक्षक दिन बा दिन बड़ी बड़ी गाड़ियों और रेल नुमा मकानों का लुत्फ़ लेते दिख रहे हैं।
‘सेशन एक पैसे का है’, ‘मैने चव्वनी खा ली है’, ‘डिब्बे की आवाज कितनी है’, ‘तेरे पास कितनी लाइन है’, ‘आज फेवरिट कौन है’, ‘लाइन को लंबी पारी चाहिए’... कहने को ये सिर्फ चंद ऊटपंटाग वाक्य हैं, लेकिन इनके बोलने में करोड़ों का लेनदेन हो रहा है।
इस खेल की भाषा भी अजीबो गरीब है। सट्टा लगाने वाले व्यक्ति को लाइन कहा जाता है, जो एजेंट यानी पंटर के माध्यम से बुकी यानि डिब्बे तक संपर्क करता है।
एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता है, जिसकी एक लिमिट होती है। सट्टे के भाव को डिब्बे की आवाज बोला जाता है।
आईपीएल क्रिकेट में सट्टेबाज 20 ओवर को लंबी पारी, दस ओवर को सेशन और छह ओवर तक सट्टा लगाने को छोटी पारी खेलना कहते हैं।
मैच की पहली गेंद से लेकर टीम के जीत तक भाव चढ़ते उतरते रहते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है।
यदि किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो वह फोन करके एजेंट से कहेगा की ‘मैंने चवन्नी खा ली’ है।
खास बात यह है कि यह पूरा नेटवर्क आधुनिक संचार प्रणाली यानि लेपटॉप, मोबाइल, इंटेरनेट, वाइस रिकार्डर आदि पर ही चल रहा है। आधुनिक दौर मैं सट्टे के सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप्प भी ऑनलाइन मौजूद हैं।
सावधानी इतनी बरती जाती है कि एक बार जो मोबाइल नंबर इस्तेमाल हो गया तो उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता हैं ।
ये तो हुई सट्टे की बात मगर इससे भी बड़ा खेल तो अभी अनछुआ है फ्रेंचीसी टीम की कमाई होती है स्पोंसरशिप से किसी भी टीम की टीशर्ट देखिये टाइटल स्पोंसर सामने आपका स्वागत करेगा , साइड मैं LOGO , टॉप पर LOGO , और बैक पर तो जियो स्पोंसर के दर्शन सुनिश्चित हैं । इसके अलावा होम टिकट से लेकर खाने पीने के टेंडर फिक्स होते है और तो और टीशर्ट , पम्पलेट, पोस्टर, फ्लैग आदि बेचने के भी टेंडर तय किये जाते है..
लोकल ग्राउंड के स्पोंसर अलग होते है जिनसे 1 से 2 करोड़ की कमाई होती है जिसका साफ़ मतलब हैं की फ्रेंचीसी टीम होम मैच से 8 से 10 करोड़ रुपए कमाते है .
2008 में आईपीएल की शुरुआत मैं लाइव आईपीएल ब्राडकास्टिंग राइट्स 2008 से 2017 तक दिखाने के लिए सेटमैक्स ने 8200 करोड़ रुपए का भुगतान किया था।
2018 से 2022 तक यानि 5 साल के लिए स्टार इंडिया यानि स्टार स्पोर्ट्स ने 16000 करोड़ रुपए दिए हैं यानि 1 साल का 3200 करोड़ रुपए
एक और कमाई का जरिया है टाइटल स्पोंसर- शुरुआती दौर मैं DLF आईपीएल था जिसके बाद पेप्सी आईपीएल हुआ और अब VIVO आईपीएल चल रहा हैं , जिसमें आईपीएल को स्पोंसर करने के लिए vivo ने 5 साल के लिए दिए हैं 2200 करोड़ रुपए यानि 1 साल का 440 करोड़ रुपए , जिसके साथ साथ सहायक स्पोंसर हैं जिओ , टाटा और paytm , जिसका साफ़ मतलब हैं की bcci को ५ साल के लिए मिलेगा 18200 करोड़ रुपए ,मोटा मोटी देखा जाये तो साल की कमाई होगी 3640 करोड़ रुपए जिसका 40 % bcci फ्रेंचीसी टीम मैं बांटती हैं जिसका मतलब हैं टीम जीते या हारे टीम के मालिक को 150 करोड़ तो जरूर मिलेंगे।
तो बात साफ़ है की आईपीएल एक खेल नहीं बल्कि एक व्यापार हैं जिसमें केवल देखने वाले दर्शको को ही खली हाथ लौटना पड़ता हैं।
सट्टे की भाषा
बुकी------------------डिब्बाएजेंट-----------------पंटर
क्लाइंट---------------लाइन
एक लाख------------एक पैसा
सवा लाख------------सवा पैसा
25 हजार------------चव्वनी
50 हजार------------अठन्नी
भाव------------------डिब्बे की आवाज
20 ओवर------------लंबी पारी
10 ओवर-------------सेशन
छह ओवर------------छोटी पारी
शर्त कम करना-------खा जाना
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